नागराकाटा, : एक रात में जंगली हाथियों के एक झुंड ने चार घर तोड़ डाले। मंगलवार की रात को नागराकाटा प्रखंड के जिति चाय बागान में घटी इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है। हालांकि श्रमिक आवास में रखे धान, चावल, आटा व अन्य खाद्यान्न को हाथी सफाचट कर गए। बाद में स्थानीय ग्रामीणों ने काफी मशक्कत के बाद हाथियों के झुंड को वहां से खदेड़ा। स्थानीय बागान श्रमिकों का आरोप है कि आए दिन हाथियों व जंगली पशुओं के चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन वन विभाग से उन्हें मुआवजा नहीं मिल पाता है। जानकारी अनुसार जिति चाय बागान के आठ नंबर श्रमिक लाइन में जलढाका जंगल से हाथियों का झुंड घुस आया। हाथियों ने मोहल्ले के तेतरी नागेशिया, शंकर खेरोवाड़, चंदन ग्वाला एवं जोगिया खेरोवाड़ की आवासीय घर तोड़ डाले। हाथियों ने श्रमिकों के घरों में रखे धान, चावल, आटा व अन्य अनाज सफाचट कर दिए। बाद में तड़के पांच बजे के करीब स्थानीय श्रमिकों ने शोरगुल मचाकर झुंड को वापस जंगल में खदेड़ा। स्थानीय निवासी एवं आविप की नागराकाटा प्रखंड कमेटी के सचिव वीरेन बेक ने कहा कि आए दिन हाथियों के हमलों से श्रमिक बेहाल हैं। स्थाई श्रमिकों के आवासों की मरम्मत तो हो जाती है लेकिन अस्थाई श्रमिकों के आवासों की मरम्मत नहीं कराई जाती है। इन्हें मुआवजा भी नहीं मिल पाता है। लिखित रूप से हमलों की सूचना देने के बावजूद वन विभाग के अधिकारी प्रभावित लोगों को देखने तक नहीं आते हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो हम वृहद आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। वन विभाग के जलपाईगुड़ी डिवीजन के अधिकारी कल्याण दास ने कहा कि चाय बागान की जमीन वन विभाग ने लीज पर ली है। इसलिए कानूनी तौर पर उस इलाके में हमलों के लिए चाय बागान ही जिम्मेदार है।साभार–दैनिकजागरण
हाथियों के झुंड ने चार घरों को किया तहस-नहस
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