एसटी नेता बनाते नहीं आदिवासी को अपना सेकेट्री

अक्सर देखा गया है कि एसटी सीट से चुनाव जीते हुए नेता गण गैर एसटी व्यक्ति को ही अपना सेक्रेटरी बनाते हैं। सवाल उठता है एसटी सीट के लिए यदि लोकसभा के उम्मीदवार मिलते हैं जिन्हें कानून बनाने की भारी जिम्मेदारी मिलती है, तो क्लारिकल काम करने वाले सचिव क्यों नहीं मिलते है ? गैर एसटी को सचिव रखने के पीछे क्या रहस्य छिपा हुआ है?
.
अभी अभी लोकसभा के चुनाव संपन्न हुए हैं देखिए कितने एसटी रिजर्व सीट से चुनाव जीते हुए नेता गण किनको अपना सेकेट्री बनाते हैं ?
.
यदि गैर आदिवासी को अपना सेक्रेटरी बनाते हैं तो समझ जाइए वह आप अर्थात् समाज पर कितना भरोसा करते हैं ?
.
नेता के बारे में राय बनाने का यह एक मापदंड भी हो सकता है।