बागान बंद और मंत्री को वोट की चिंता

लोकसभा चुनाव बिल्कुल पास आ गया है। श्रममंत्री मलय घटक बगानियारों से कह रहे हैं कि वे उन्हें वोट दें। वे वोट के लिए तो डुवार्स तराई और पहाड़ में आते हैं, लेकिन यहाँ की समस्या के समाधान के लिए क्या-क्या कदम उठा रहे हैं उस पर कुछ नहीं कहते।

कालचीनी में दो बागान बंद था। बीच बागान अभी हाल ही में बंद हो गया। मालिक पक्ष कहते हैं प्रबंधन के लिए बागान में उचित महौल नहीं है। बगानियार कहते हैं प्रबंधन का रवैया किसी जेंटलमैंन प्रबंधक की तरह नहीं था। मंत्री बताएँ कि कहाँ का बगानियार गालीबाज प्रबंधकों को कब तक सहेंगे? क्या उन्होंने बागान प्रबंधकों के गलत व्यवहार और रवैये को ठीक करने के लिए कभी कोई सरकारी आदेश निकाला है?

चाह बगानियार कितने दबाव में कार्य करते हैं और कैसे वे हुक्म बजाते हैं, यह पूरी दुनिया जानती है। दुनिया यह भी जानती है कि गोरे साहेब लोग तो भारत से चले गए लेकिन चाह बागानों में काले साहबों का व्यवहार एक आजाद देश की नागरिक की तरह नहीं बदला। वे आज भी जमींदार की तरह ही बागान में जीवन जीते हैं। डुवार्स के कितने बागान रग्ण है और कितने में क्या-क्या समस्याएँ हैं, इस बारे मंत्रीजी जनता को बताएँ और उसका स्थायी समाधान भी खोजें।

जापानी प्रबंधन में कंपनी का मालिक भी अपने कर्मचारियों के साथ बैठता है और कार्य के समय पता ही नहीं चलता है कि कौन कर्मचारी है और कौन मालिक। लेकिन चाय बागान में मालिक तो मालिक मैनेजर भी किसी जमींदार-मालिक से कम नहीं होता है। बागान डायरेक्टरों को साल में एक करोड़ रूपये मिलते हैं और मजदूर को दैनिक 250 रूपये। मंत्री का इतना भी क्षमता नहीं है कि वे 2015 से लटका हुआ न्यूनतम वेतन ही मजदूरों के लिए देने की पहल करे। मजदूर किन हालतों में जिंदा है यह तो वह खुद ही जानता है। उपर से प्रबंधन के हर हुमकी और मर्जी पर बागान बंद हो जाता है। क्या कोई उद्योग यूनिट किसी के व्यक्तिगत मर्जी पर खुल सकता है या बंद हो सकता है? क्या बागान कोई पान का दुकान है?

मंत्री इस बारे क्यों कोई गाईडलाईंन्स जारी नहीं करते?

लोगों से वोट मांगने से पहले मंत्री जी खुद बताएँ कि वे किन समस्याओं का समाधान करते हैं?

I am thankful to you for posting your valuable comments.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.