TAC की संवैधानिकता पर सवाल

‎  Walter Kandulna 

 दिनांक 03/01/2017 को आदिवासी बुद्धिजीवी मंच , रांची की ओर से रांची हाईकोर्ट में Tribes Adivisory Council की संवैधानिकता पर एक पीआईएल की रिट याचिका दायर की गयी. इसमें Tribes Adivisory Council द्वारा लिए गए निर्णयों मसलन एक गैर अनुसूचित जनजाति के इसके अध्यक्ष बनने, सीएनटी/एसपीटी कानूनों के संशोधनों पर सहमति देने आदि को चुनौती दी गयी है.

इस तरह आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से कुल मिला कर सरकारों के विरुद्ध 4 चार याचिकाएं न्यायपालिका में चल रही हैं.
1) सुप्रीम कोर्ट में झारखण्ड के अनुसूचित क्षेत्रों में लागू झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम-2001 (JPRA-2001) असंवैधानिक है. एक साल से ज्यादा समय हो गया,सरकारों ने, दस्ती नोटिसों के बावजूद अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है.
2) हाईकोर्ट रांची में अनुसूचित क्षेत्रों (रांची) में लागू झारखण्ड म्युनिसिपलिटी अधिनियम-2011 (JMA-2011) (नगर-निगम) असंवैधानिक है. इस पर भी राज्य सरकार एक साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं दे पा रही है.
3) हाईकोर्ट रांची में वर्तमान स्थानीयता नीति (Domicile Policy) को चुनौती दी गयी है. 10/01/2017 तक झारखण्ड सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का समय है. इसका प्रभाव: जब तक स्थानीयता नीति पर संवैधानिकता पर फैसला नहीं होता है,सरकार द्वारा अभी विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए मांगे जाने वाले निवेदन/निर्णय भी गैर-कानूनी रहेंगे ..
4) और चौथा, TAC पर भी सरकार के कई निर्णय संवैधानिकता के घेरे में आ गए हैं.

यह   आदिवासियों के अस्तित्व की लड़ाई है. और  इस लडाई को हर स्तर पर न्यायिक, जन-आन्दोलन, जन-जागरण आदि के रूप में लड़ना पड़ेगा . आदिवासी बुद्धिजीवी मंच आदिवासी भाई-बहनों से इस विषय पर सुझाव और सपोर्ट की आशा करता है।