कैसे रखें भ्रष्‍टाचार पर अंकुश ?

शिबु सोरेन की झारखण्‍ड सरकार राज्‍य में तीन महीने में एक लाख तलाबों की खुदाई करना चाहती है। यह काफी महत्‍वकांक्षी योजना है और किसानों और ग्रामीणों की जीवन को बदलने की ताकत रखती है। लेकिन झारखण्‍ड में भ्रष्‍टाचारी हर चीज में भ्रष्‍टाचार के लिए गुंजाइस ढूंढते रहते हैं। काली कमाई करने के लिए तलाबों की खुदाई उनके लिए एक स्‍वर्ण अवसर प्रदान कर सकता है। भ्रष्‍टाचार पर अंकुश नहीं लगने पर सुबे के विकास के रास्‍ते पर ही तलाबों की खुदाई हो जाएगी। विदेश में रहने वाले झारखण्‍डी श्री इम्‍मानुएल टोप्‍पो कहते हैं यदि तलाबों की खुदाई के साथ उन्‍हें पम्‍पसेट भी प्रदान कर दिए जाऍं तो सोने पर सुहागा होगा। झारखण्‍ड का विकास चाहने वाला हर शख्‍स इसका सच्‍चा विकास होते देखना चाहता है। लेकिन सत्‍ता के दलाल और बिचौलिए झारखण्‍ड की हर हरियाली को चारे की तरह खा जाना चाहते हैं।

भ्रष्‍टाचारी झारखण्‍ड में इतने दुसाहसी क्‍यों हैं? इस पर विचार करने की जरूरत है। यदि आम झारखण्‍डी जागरूक और सतर्क रहे तो भ्रष्‍टाचारियों को कोई ठौर नहीं मिलेगा। क्‍या भ्रष्‍टाचारियों से राज्‍य के योजनाओं के लिए आबंटित राशियों को बचाया जा सकता है ? क्‍या आबंटित राशियों के सही इस्‍तेमाल के लिए आम जनता जनसहभागीदार की भूमिका निभा सकते हैं ? क्‍या अपने इलाके में बन रहे विकास संबंधी विनिर्माणों से आम जनता को जोडा जा सकता है ? कई सवाल हैं जिन्‍हें यदि सही ढंग से हैंडल किया जाए तो विकास के लिए आबंटित राशियों का सही इस्‍तेमाल सुनिश्चित किया जा सकता है। झारखण्‍ड में अनगिनत गैर सरकारी संस्‍थाऍं कार्यरत है। कई संस्‍थाऍं सामाजिक ऑडिट की प्रक्रियाओं में भाग लेते हैं और सरकारी कामकाजों की समीक्षा और सुझाव देती है। यदि वे ग्रामीण स्‍तर पर ग्रामीणों को विकास के कार्यो से जोड सके तो बहुत ही अच्‍छा परिणाम पाया जा सकता है।

अक्‍सर देखा जाता है कि ग्रामीण विकास के लिए चलाए जा रहे कार्यों की उपयोगिता और महत्‍व से पूर्ण परिचित नहीं होते हैं, न ही उन्‍हें कार्यों की प्रकृति, कार्य से संबंधित बजट, गुणवत्‍ता और कार्य किस स्‍तर पर पूर्ण किया जाना है, का पता रहता है। इसका लाभ कार्य को पूर्ण करने वाला ठेकेदार और ठेकेदार के साथ भ्रष्‍टाचार में लिप्‍त सरकारी कर्मचारी उठाते हैं। यदि ग्रामीणों को यह पता हो कि प्रस्‍तावित कुऑं और तलाब की लम्‍बाई चौडाई और गहराई कितना तय किया गया है। उसके पाट अर्थात किनारे को मिटटी से बनाया जाना है अथवा उसमें सिमेंट की दीवार बनाई जानी है अथवा स्‍थानीय क्षेत्र में मिलने वाले पत्‍थरों से उसे पाटा जाना है? कितने लोगों को इसमें मजदूरी मिलनी है और मजदूरी की दर क्‍या होना है? और इसको पूरा करने की समय सीमा क्‍या है तो वे सजग होकर ठेकेदार और सरकारी कर्मचारियों यथा इंजीनियर, सर्वेयर आदि के साथ बात कर सकते हैं और यदि इनमें से किसी में कोई कमी मिले तो उसकी पडताल के लिए उच्‍च कार्यालयों अथवा मीडिया में उसके बारे सूचित किया जा सकता है।

सूचना का अधिकार कानून के तहत सरकारी के किसी भी स्‍तर के विभागों से जानकारी ली जा सकती है। कार्य के लिए निर्गत कागजातों की जॉंच की जा सकती है। बजट, कार्य की गुणवत्‍ता, कार्य में प्रयोग की जाने वाली सामग्री, कार्य की समय सीमा आदि तमाम बातें प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट, फिजीबिलीटी रिपोर्ट, निविदा, कार्य चालू करने के आदेश आदि में तमाम विवरण दिए जाते हैं। इन कागजों की प्रतिलिपि सिर्फ दस बीस रूपए देकर प्राप्‍त किए जा सकते हैं। बीपीएल राशनकार्ड धारियों के लिए तो वह भी निशुल्‍क प्राप्‍य है। स्‍थानीय पंचायत के सदस्‍यों और स्‍थानीय सामाजिक कार्यकर्ता किसी भी स्‍थानीय सरकारी योजनाओं की जानकारी सहज ही हासिल कर सकते हैं। जरूरत है तो सिर्फ इच्‍छाशक्ति की।

इसके आलावा भी यदि ग्रामीण अपने स्‍थानीय विधायक के माध्‍यम से जानकारी चाहें तो हासिल कर सकते हैं। झारखण्‍ड आदिवासी राज्‍य है जिसके लिए केन्‍द्र सरकार आदिवासी योजनाओं के लिए राशि आबंटित करती है। केन्‍द्र सरकार द्वारा प्रदत्‍त सभी तरह के योजनाओं के लिए अलग से लेखाजोखा रखना पडता है और उसके लिए व्‍यय प्रमाणपत्र भी केन्‍द्र सरकार को भेजना पडता है। यदि संस्‍थाऍं चाहें तो वे उसकी प्रति भी मांग सकते हैं।

कहने की जरूरत नहीं कि झारखण्‍ड के खुशहाल बनाने के लिए यदि आम जनता कमर कस ले तो इसे वास्‍तविक झारखण्‍ड अर्थात्त शास्‍य श्‍यामल खण्‍ड में परिवर्तन किया जा सकता है। लेकिन जरूरत है भ्रष्‍टाचारियों को ठिकाने लगाने की। यदि जनता जागरूक रहेगी और हर कार्यों की लेखाजोखा मंगेगी तो कोई भ्रष्‍टाचारी चाहे कितना भी ताकतवर हो इतना दुसाहसी नहीं होगा कि वह जनता की ताकत के सामने टिक पाए।       

I am thankful to you for posting your valuable comments.

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.