चाहिए घर भिट्ठा का खतियान

नेह अर्जुन इंदवार

निम्नलिखित बातें बगानियारों के लिए #बहुत_बहुत_महत्वपूर्ण है। हर #बगानियार को #इन्हें_जानना_बहुत_जरूरी_है

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बगानियारों का घर भिट्ठा औसतन 15 Decimal का है। ऐतिहासिक, सामाजिक, संवैधानिक, कानूनी रूप से वे भूमिहीन नहीं है। वे 150 वर्षों से अधिक समय से अपनी जमीन पर रहते हैं। जमीन के मालिकाना कानूनी हक के लिए उन्हें सरकार से खतियान चाहिए। खातियान मिलने पर भारतीय कानून के अनुसार वह उसे वसीयत, सम्पत्ति का हिस्सा बना सकता है। पारिवारिक जमीन पर परिवार का मालिकाना हक स्थापित होगा। तब बागान मालिक उसे हथियाने की कोशिश नहीं करेगा और परिवार शांति के साथ विकास योजनाओं का क्रियन्वयन कर सकेगा। खतियान मालिक का मान सम्मान और कानूनी हैसियत भूमिहीन व्यक्ति से अधिक होता है। उसे आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त होता है।

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बगानियारों का 27 सामाजिक संगठन (JAC) सरकार से पूरी जमीन का सिर्फ एक खतियान मांग रही है। लेकिन सरकार 5 decimal जमीन को टुकड़ों में बाँटने का नोटिफिकेशन निकाला है। सरकार और सत्ताधारी पार्टी जबरदस्ती बगानियार को 5 decimal जमीन देने पर कार्य कर रही है। यह बगानियारों के हित, पूरे जमीन पर मालिकाना हक, परिवार के भविष्य के लिए बहुत हानिकारक है। बगानियारों ने कभी इसकी मांग नहीं की थी। उसकी मांग को सरकार गलत तरीके से पूरा करना चाहती है।

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स्थानीय प्रशासन, सरकार सत्ताधारी पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं को यूज करके जबरद्स्ती इस योजना को लागू कर रही है और 1 लाख 20 हजार रूपये (60-40-20 हजार के किस्त में) देने का प्रलोभन भी दे रही है। 1, 2 3 decimal का #टुकड़ा_टुकड़ा_पट्टा और सरकारी पैसा लेने से बगानियार के 150 वर्षों से जमीन पर रहने के सभी फायदे चौपट हो जाएगा। इसे लेने से उसका कानूनी, संवैधानिक, ऐतिहासिक, सामाजिक अधिकार लीगल रूप से कमजोर हो जाएगा और भविष्य में वह अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए Bargain करने की शक्ति खो देगा। पूरे जमीन के टुकड़े-टुकड़े पट्टा लेने और पैसा लेने पर परिवार कई कानूनी पचड़े में पड़ जाएगा। परिवार में भाईयों के बीच झगड़ा होगा और Non Transferable, Only Heritable शर्तों को कोई बदल नहीं सकेगा और वह परिवार के लिए हमेशा के लिए एक सिरदर्द बन जाएगा।

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जरा इसे समझने की कोशिश कीजिए। जमीन तो बगानियार के हाथों में है। कोई उसे उठा कर नहीं ले जाएगा। 283 बागानों के बगानियार सामूहिक रूप से आंदोलन करके उसका खतियान मांग रहे हैं। भविष्य में वह पूरा खतियान उसे मिलेगा ही, इसे कोई रोक नहीं सकता है। आज नहीं तो कल सरकार, प्रशासन को यह देना ही होगा। इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं है। बस कुछ टेक्निकल समस्या है। जो सरकार एक रूपया देने में भी तमाम आंगड़ा डालती है, वह घर-घर जाकर लोगों को जबरदस्ती पट्टा और पैसा दे रही है। इसके पीछे की मंशा, उद्देश्य को समझने की जरूरत है। इसे बगानियारों के भविष्य के लिए सोच-समझ कर नहीं बनाया गया है। यह एक जाल की तरह है, बगानियार मछली बन कर जाल में फंसेंगे तो उसका क्या हाल होगा, इसे जरूर समझने की कोशिश करें।

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आप यदि इसे लेने से इंकार करेंगे तो आपका 25-30-50 लाख से भी अधिक का कीमती जमीन का अधिकार आपके पास बरकरार रहेगा। यह 20 लाख बगानियारों के मौलिक अधिकार, विकास और अस्तित्व से संबंधित है और यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है। इसे नासमझ और स्थिति से अन्जान लोग स्वीकार करके अपने परिवार के भविष्य को एक चालाकी भरी योजना के हवाले कर रहे हैं। आपके पास आपके नागरिकता को साबित करने के लिए वोटर कार्ड, आधार कार्ड, स्कूल सर्टिफिकेट, एसटी या एससी सर्टिफिकेट, जन्म या मृत्यु प्रमाण-पत्र, बिजली का बिल, बागान के कागजात, बैंक के कागजात, पंचायत के कागजात, इंदिरा आवास का घर, बागान क्वार्टर में पारिवारिक कब्जा का कागजात आदि अनेक कागजात है। टुकड़े-टुकड़े पट्टा के कागजात को लेने से इंकार करने का आपके पास संवैधानिक, कानूनी अधिकार है। जबरदस्ती करने पर एससी एसटी अत्याचार कानून का भी सहारा ले सकते हैं।

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बगानियार संविधान, कानून, लागू होने से पहले से ही 1850-65 से ही जमीन पर निवास करता है। प्राकृतिक मौलिक अधिकार, संवैधानिक अधिकार, Adverse Possession Rules अधिकार से उसे वह जमीन मिलेगा ही। दुनिया भर के जमीन कानूनों के अनुसार उससे यह अधिकार कोई छीन नहीं सकता है। सरकार ने 1953 में उनके पूरखों से वह जमीन West Bengal Estate Acquisition Act 1953 के तहत अधिगृहित करके क्वार्टर बनाने के लिए बागान मालिक को सौंप दिया था। 1 अगस्त 2023 के नोटिफिकेशन में यह बात साफ लिखा हुआ है। तब बगानियारों के पास संवैधानिक Right to Property यानी सम्पत्ति का मौलिक अधिकार भी हासिल था। लेकिन उसके पास शिक्षा और जागरूकता नहीं था। इसीलिए तब वह विरोध नहीं कर सका था। आज वह अपने अधिकारों के बारे जानकारी रखता है, इसलिए अपनी जमीन का अधिकार वापस प्राप्त करना चाहता है। सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक विकास के लिए यह अधिकार बहुत जरूरी है।

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तमाम कानूनी अधिकारों के अनुसार भी वह भूमिहीन नहीं है और उसे पूरे जमीन का खतियान पाने का अधिकार है। इन तमाम कानूनी पहलुओं के अनुसार उसे जबरदस्ती 5 decimal जमीन देने का नोटिफिकेशन निकालना बहुत गलत और अहितकारी है। वे इस देश के और चाय अंचल के भूमिपुत्र हैं। इसलिए उन्हें रिफ्यूजी की तरह 5 decimal जमीन देने की कोशिश करना उसके अधिकारों को छीनने, अधिकार को कमजोर करने और बगानियार समाज को बर्बाद करने की कोशिश है। इसीलिए इस नोटिफिकेशन को रद्द करने, इसे संशोधित करने और चुनाव के पहले ही पूरे जमीन के लिए एक ही खतियान वाला नोटिफिकेशन निकालने की मांग की जा रही है।

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Joint Action Committee का आंदोलन बगानियार के जमीन का आंदोलन है। इसे किसी पार्टी से जोड़ कर देखना सिर्फ नसमझीपन है। कृपया इस बातों को सभी को शेयर करें, अपने परिवार और समाज के अधिकारों को बचाएँ और अपने बच्चों को भारतीय नागरिक के पूरे अधिकार पाने में सहभागी बनें। यह आपके पारिवार का अपना आंदोलन है। JAC किसी पार्टी या सरकार के विरूद्ध नहीं है। जमीन देने की सरकार की नियत अच्छी है, इसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन इसका आधा-अधूरा और गलत कार्यन्वयन का तरीका बगानियार को बर्बाद कर देगा। इसे हमें रोकना होगा। नेह।

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