#Kind_Attention_Dooars_Terai
दिनांक 26 दिसंबर 2023 को जलपाईगुड़ी डीएम कार्यालय परिसर में एलआर (लैंड रिफॉर्म) यानी भूमि सुधार और लेबर वेलफेयर के भारप्राप्त एडीएम प्रियदर्शनी भट्टाचार्य के कार्यालय में एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें चाय बागानों में कार्यरत्त मजदूर संघों के नेताओं ने भाग लिया।
एडीएम ने बैठक के उद्देश्य पर बोली कि प्रशासन, चाय मजदूरों के भूमिहीन होने और जमीन के अधिकार की मांग पर 1 अगस्त 2023 को जारी को नोटिफिकेशन के अधीन चाय बागानों में सर्वे का काम कर रही है। लेकिन सर्वे के काम में विभिन्न प्रकार के अड़चन आ रही , उसी अड़चनों को दूर करने और सीधे बातचीत करके कुछ मिसकम्यूनिकेशन और मिसकंसेप्शन को दूर करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है। मैं भी आशिक मुण्डा, राहुल कुमार झा के साथ, श्री तेजकुमार टोप्पो जी के आमंत्रण पर मजदूर संघ के एक सदस्य के रूप में बैठक में उपस्थित था। एडीएम ने कहा कि वे एलआर के साथ लेबर वेलफेयर की भी अधिकारी है, इसलिए वे चाय मजदूरों के भलाई के कार्यों में सभी का सहयोग मांग रही है।
एडीएम ने स्पष्ट किया कि सर्वे के लिए सरकारी अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ नियमों के अधीन, नोटिफिकेशन के दायरे में काम कर रहे हैं। वे उसके बाहर कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। वे सर्विस कंडिशन यानी सरकारी सेवा शर्तों से बंधे हुए हैं और वे इसका उल्लंघन करके कोई कार्य नहीं कर सकते हैं। उन्होंने सरकारी कार्यों में बाधा न डालने के लिए भी अपील कीं। उन्होंने कहा कि पाँच डिसमील के लिए जारी नोटिफिकेशन के आदेशों को लागू करने के लिए ही प्रशासन कार्य कर रहा है।
उन्होंने बताया कि ये जमीन बागान प्रबंधनों को The West Bengal Estate Aquisation Act 1953 के तहत दिए गए थे और उन्हें मजदूरों को अलॉट करने के लिए Land Resume के लिए चाय बागान से एनओसी यानी No Objection Certificate की जरूरत है। इस मामले में कई चाय बागान प्रबंधन एनओसी देने में तत्पर नही हैं और इसमें कई चुनौतियाँ आईं हैं। कई बागान इसे देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि सरकार मजदूरों के बस्ती और मकानों के जर्जर हालातों के बारे भी वाकिफ है। उन्होंने स्पष्ट करके कहा कि नोटिफिकेशन में पाँच डिसमील जमीन परिवार के महिला प्रमुख के नाम देने का आदेश है और हर परिवार को पाँच डिसमील जमीन देने की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार चाय बागान मजदूरों के वर्तमान घर, जहाँ वे दशकों से रहते आए हैं, और जिस घरों के साथ उनकी भावनात्मक संबंघ जुड़े हुए है्ं, उसी घर-जमीन का पाँच डिसमील जमीन पट्टा देगी। साथ ही टूटे हुए घरों के मरम्मत के लिए प्रति परिवार 1 लाख 20 हजार रूपये परिवार प्रमुख के बैंक के माध्यम से देगी।
उन्होंने कई बार जोर देकर कहा कि प्रशासन नोटिफिकेशन के अनुसार पाँच डिसमील जमीन देगी लेकिन दशकों से चाय बागान लाईन में रहने वाले परिवार को उनकी पात्रता की जाँच करके देगी, पात्रता जाँच करने, सहयोग करने के लिए उन्होंने अपील कीं । उन्होंने कहा कि यदि कोई परिवार का नाम छूट जाएगा तो मजदूर संघ उसे प्रशासन को बताए, सरकार हर बगानियार को पाँच डिसमील जमीन का पट्टा देगी। यदि कोई गलती होगी, तो दुबारा सर्वे का काम करके उसे ठीक किया जाएगा।
मजदूर संघों के प्रतिनिधियों ने एडीएम के सामने अपनी आपत्तियाँ भी दर्ज कीं। उनका कहना था कि वे पांच डिसमील जमीन नहीं मांग रहे हैं। वे उस सारी जमीन का पट्टा मांग रहे हैं, जिन पर परिवार डेढ़ सौ वर्ष से रह रहा है। उनके पास पाँच डिसमील से कम भी जमीन हो सकते हैं या उससे अधिक भी। जमीन का जैसा कब्जा या Possession है, उसे उसी माप और मात्रा में जमीन का खतियान दिया जाए। उसे पाँच डिसमील के स्केल में न बैठाया जाए। सरकार यदि उसी घर और जमीन का अधिकार दे रही है तो वह नोटिफिशन में बदलाव करे और सीधे जैसे, जितना कब्जे की जमीन है, उसे परिवार को सौंप दें। जिनके पास कोई जमीन नहीं है, जैसे बागान स्टाफ के पास तो उन्हें पाँच डिसमील जमीन दे।
जमीन का संबंध सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक अधिकार से संबंधित होने के कारण सरकार उनपर सहानुभूमि पूर्वक विचार करे। क्योंकि सरकार द्वारा 1953 में उस जमीन पर कब्जा करने के पहले वह जमीन मजदूरों के पूरखों की जमीन थीं। आज उसे वापस करने का समय आ गया है। लेकिन एडीएम ने स्पष्ट कर दिया कि उनका प्रशासन नोटिफिकेशन में दिए गए आदेश का ही पालन कर सकती है। वे प्रतिनिधियों के अनुरोध और भावनाओं तथा आवेदन, निवेदन को सरकार के उच्चाधिकारियों के पास पहुँचा देंगी। वही उस पर अंतिम निर्णय लेंगे।
इन बातों के बीच में ही एक मजदूर संघ के प्रतिनिधि ने कहा कि जिस परिवार के पास पाँच डिसमील से अधिक जमीन होगी, उस परिवार के अन्य सदस्यों को बाकी के जमीन का पट्टा देने की बातें हुई है और ऐसा किया जा रहा है। जैसे किसी परिवार के पास 15 डिसमील जमीन है तो बाकी के 10 डिसमील को घर के दो अन्य लोगों के नाम पट्टा दिया जा रहा है। यदि 12 डिसमील या 18 डिसमील जमीन होगी तो अधिकारीगण कैसे उसका बँटवारा करेंगे, इस विषय पर वे कोई स्पष्टीकरण नहीं दिए। साथ ही वे अपनी बातों को साबित करने के लिए कोई सबूत या सरकारी नोटिफिकेशन पेश नहीं सके। उनका कहना था कि हर परिवार को अपनी पूरी जमीन का पट्टा मिल रहा है, इसलिए सरकारी आदेश या नोटिफिकेशन की बात न की जाए। ऐसा कार्य कहाँ-कहाँ किया जा रहा है? इस पर वे कोई स्पष्टीकरण नहीं दे सके। वे सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यगण थे, वे अधिक जानकारी रख सकते हैं, लेकिन उसे वे नियमानुसार या रीतिपूर्वक कानूनी सबूतो के आधारानुसार स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं कर सके।
एडीएम ने बार-बार स्पष्ट किया कि वे सरकारी अधिकारी हैं और नोटिफिकेशन के आदेशों के अधीन ही कार्य करेंगे और सेवा शर्तों का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं अर्थात् वे पाँच डिसमील जमीन और 1 लाख बीस हजार रूपये की मदद के अलावा कोई अन्य कार्य नहीं कर सकते हैं। लेकिन कुछ प्रतिनिधियों ने अपने तई पूरी जमीन का पट्टा दिए जाने का दावा किया, जिसका कोई कानूनी आधार या आदेश या नोटिफिकेशन नहीं है और यदि कहीं ऐसा किया जा रहा हो तो वह एक खतरनाक बात होगी। वह भविष्य में लोगों को लीगल फेस में फंसाने के लिए दूरूपयोग किया जा सकता है। सीधे-सादे बगानियार लोगों को किसी गैर कानूनी कार्यों में लपेटना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
एक परिवार के एक से अधिक सदस्यों को पट्टा मिलने पर कोई भी उसे प्रशासन के किसी भी स्तर पर चुनौती दे सकते हैं। परिवार के सदस्यों के नाम पर कम्प्लेन कर सकते हैं या सरकार को उन कर्मचारियों के विरूद्ध प्रशासनिक कार्रवाई करने के लिए विवश कर सकते हैं, जिसके हस्ताक्षर से नोटिफिकेशन का उल्लंघन करके आदेश के बाहर के कार्य हुए हैं। उससे सर्वे की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो सकते हैं। आज यदि किसी सरकार, प्रशासनिक अधिकार, कर्मचारी ऐसा करेंगे और वे कल अपने कार्यालय में नहीं रहेंगे, स्थानांतरित हो जाएँगे, या Retired हो जाएँगे या नये अधिकारी आएँगेे और नोटिफिकेशन के उल्लंघन की बातों की जाँच करेंगे तो अनेक लोगों के विरूद्ध में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। याद रखें, सरकार या कोई अधिकारी आज कुर्सी पर है। कल वे वहाँ नहीं रहेंगे। पहला अगस्त को जारी नोटिफिकेशन में साफ लिखा हुआ है कि यदि जमीन कब्जेदार नियम, शर्तों का उल्लंघन करता है तो सरकार उससे उसकी कब्जे की जमीन को वापस ले लेगी और उसे दूसरे को दे देगी। बकौल एडीएम (एलआर) फिलहाल यही तय है कि हर परिवार को अपने कब्जे की जमीन में से पाँच डिसमील जमीन और एक लाख 20 हजार रूपये घर मरम्मत के लिए मिलेंगे। लेकिन इसके लिए भी विस्तार पूर्वक पूरी प्रक्रिया की नियम और शर्त अभी नोटिफाईड नहीं है। एडीएम की कई बातों का सरकारी आदेश अभी आना बाकी है।
चाह बगानियार सरकार से अपने वर्तमान घर के पूरी जमीन का अधिकार मांगा है। लेकिन सरकार सिर्फ 5 डिसमील जमीन देने की कार्रवाई कर रही है। सर्वे का काम दार्जिलिंग और कालिम्पोंग जिले में बंद है। लेकिन मैदान के जिलों में किया जा रहा है। यहाँ सरकारी नीतियों में भेदभाव स्पष्ट है। एक परिवार के पास 5 डिसमील से अधिक जमीन है। परिवार के बची हुई जमीन पर कानूनी तलवार लटकी हुई रहेगी और सरकार और नीति बदलने पर उस पर परिवार का कब्जा खत्म हो सकता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि सरकारी कार्य केवल और केवल सरकारी कागजों में उल्लेखित नियम और कानून के अधीन ही होता है। किसी भी मंत्री, अधिकार या किसी मजदूर संघ के किसी पदाधिकारी के मौखिक बातों का कोई वैल्यू या मान्यता नहीं होती है।
अंतिम बात यदि सरकार जमीन ही देना चाहती है तो पूरी जमीन का अधिकार दे, टुकड़ों में, आधे मन और नियत से न दे। चाय बगानियार सरकार के इसी आधे-अधूरे, आधे मन से किए जा रहे कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं और सर्वे के कार्यों को अपनी जमीन पर करने से मना कर रहे हैं। पिछले 10 सालों के बाद जमीन का अधिकार मिलने वाला है, ऐसे में उसे कानूनी भुलभुलैया में सरकार न डाले। आज एक सरकार है, कल दूसरी आएगी, नियम कानून सब बदल सकते हैं। लेकिन चाय बगानियारों के मानवीय, संवैधानिक और कानूनी अधिकार तो नहीं बदलेंगे, यह उसका जन्मसिद्ध अधिकार है। इसलिए सभी को चाहिए कि वे सरकार से फिर से मांग करें कि सरकार पूरी जमीन के लिए नोटिफिकेशन निकालें। मतलब अभी आंदोलन खत्म करने का समय नहीं आया है। जमीन के अधिकार को चुनावी फायदे में बदलने के लिए उसे कानूनी उलझाव में नहीं फेंका जा सकता है। @highlight
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