भूमि का मालिकाना हक मिले तभी माइनिंग संभव

पिपरवार,: टाना भगतों को भूमि का बंदोबस्ती कर मालिकाना हक दिलाना होगा, तभी अशोक परियोजना खदान में पुन: खनन कार्य संभव है, अन्यथा खदान बंद रहेगा। टमरसटांड़ समेत दर्जनों गांवों के टाना भगतों के उक्त निर्णय के बाद शनिवार को सुबह से चल रही दूसरे दौर की त्रिपक्षीय वार्ता बे-नतीजा खत्म हुआ। इसके साथ ही अशोक परियोजना में अनिष्ठ की आशंका बढ़ गई है। मालूम हो कि शुक्रवार को खदान में हुई मारपीट के बाद विस्थापित टाना भगतों से वार्ता के लिए चतरा एसडीएम अरुण कुमार रतन की उपस्थिति में टमरसटांड़ में एक त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई। किंतु बारिश के कारण वार्ता शाम में पंचवटी सभागार में हुई। टाना भगतों के उक्त अडि़यल रवैये पर एसडीएम ने टाना भगतों को कानून को हाथ में नही लेने की चेतावनी दी। टाना भगतों का कहना था कि हमारे दो पुस्त इस जमीन पर रह रहे है। किंतु सरकार अभी तक हमारे जमीनों को बंदोबस्ती नहीं किया। जबकि पीओ केके मिश्रा ने कहा कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सीसीएल 162 हेक्टेयर भूमि का मूल्य अदा कर चुका है। जबकि 166 हेक्टेयर भूमि के लिए आवेदन विचारानार्थ लंबित है। वन विभाग से अनुमति प्राप्त होने के बाद इसके आगे माइनिंग शुरू की जाएगी। माइनिंग के अलावा ट्रांसपोटिंग व कोल डंप भी बंद है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अशोक परियोजना खदान के पश्चिमी भाग में टाना भगतों ने झंडा गाड़ माइनिंग कार्य रोक देने के लिए घंटी बजा दी है। सनद रहे कि शुक्रवार की घटना में चार लोग घायल हो गए थे। बे-नतीजा वार्ता के बाद प्रशासन व टाना भगतों के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है। वार्ता में एसडीएम अरुण कुमार रतन, सीओ लियाकत अंसारी, सीडीपीओ विपुल शुक्ला, पीओ केके मिश्रा, कार्मिक व प्रशासनिक अधिकारी आरएन झा, एरिया सेक्युरिटी ऑफिसर सुरेंद्र राय, सीपी घोष, विस्थापित नेताओं में इकबाल हुसैन, अलेक्जेंडर तिग्गा, प्रेम सागर मुंडा, जेपी महाराज, मुन्ना उर्फ कासिम, विजय लाल, अर्जुन गंझू, व टाना भगतों में रामे टाना भगत, रंथु टाना भगत, राम कुमार टाना भगत, शिवचरण टाना भगत, बलकू टाना भगत, लीलावती टाना भगत, लक्ष्मी टाना भगत, सुखदेव टाना भगत, ज्ञानी टाना भगत, रामजीत टाना भगत आदि शामिल थे।

बागान के श्रमिक करेंगे भूख हड़ताल

बिन्नागुड़ी,: बानरहाट इलाके के रेडबैंक गु्रप के बंद चाय बागान सुरेन नगर के श्रमिक सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने की धमकी दी है। श्रमिकों का कहना है कि बागान बंद होने के बाद भी श्रमिकों को सरकार सहित स्थानीय प्रशासन से किसी तरह की मदद नहीं मिल पाई है। इसलिए 31 जनवरी सोमवार से सुरेन नगर के श्रमिक राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 31 में भूख-हड़ताल में बैठेंगे। सोमवार को आदिवासी विकास परिषद के नेतृत्व में श्रमिक सड़क पर भूख हड़ताल में बैठेंगे। श्रमिकों का कहना है कि जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलता तब तक हमलोग अपना आंदोलन जारी रखेंगे। चाय बागान के श्रमिकों का कहना है कि कब तक वे लोग विवशता एवं भूखमरी के जीवन को जियेंगे। इसलिए हमलोगों ने आंदोलन में उतरने का फैसला लिया है। आदिवासी विकास परिषद डुवार्स रीजनल कमेटी के अध्यक्ष जान बारला ने कहा कि रेड बैंक गु्रप के सुरेन नगर चाय बागान में कुल स्थायी श्रमिकों की संख्या 316 है तथा पांच स्टाफ है एवं सैकड़ों अस्थायी कर्मचारी है। जिनके हजारो परिवार के सदस्य चाय बागान बंद होने से भूख एवं कुपोषण के शिकार बनते जा रहे हैं। बागान के प्लान्टेशन को क्षेत्रफल 162 सौ हेक्टेयर जमीन में है जो पिछले 2003 से बंद पड़ा है। गत 2007 में बागान के मालिक राबिन पाल ने चाय बागान को खुल पाया एवं पत्तियों को तोड़कर बेचते रहे, लेकिन उस दौरान भी श्रमिकों का शोषण बदस्तूर जारी रहा। सुरेन नगर चाय बागान के मालिक पक्ष द्वारा किसी भी श्रमिकों को पीएफ एवं ग्रेच्यूटी का पैसा न ही जमा किया गया है न ही दिया गया है। श्रमिकों द्वारा आवाज उठाने पर मई 2010 में फिर से चाय बागान को बंद कर दिया है। जिसके बाद सुरेन दर चाय बागान के श्रमिकों को काफी दयनीय अवस्था में रहना पड़ रहा है। श्रमिकों का ऐसा हाल है कि नदी-नालों में पत्थर तोड़ कर जीविका निर्वाह करना पड़ रहा है। स्थानीय सुरेंद्र नगर चाय नगर के श्रमिक सुरेश कछुवा ने कहा कि सरकार द्वारा सौ दिन रोजगार योजना के तहत भी चाय श्रमिकों को काम ठीक से नहीं मिल पा रहा है। श्रमिकों का आरोप है, तीन महीने में एक सप्ताह का कार्य सौ दिन रोजगार का होता है। वह भी काम किए हुए वेतन देरी से मिलता है। जिससे श्रमिक काफी उपेक्षित एवं शोषित महसूस कर रहे हैं। डुवार्स तराई रीजनल कमेटी के अध्यक्ष जान बारला ने कहा कि सुरेद्र नगर चाय बागान के श्रमिक भूख एवं कुपोषण से पीडि़त हैं। उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में श्रमिकों ने घूंट-घूंट के मरने के बजाय राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूख-हड़ताल में रह कर आंदोलन करते हुए सड़कों में सो कर अपनी जान देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा आविप सुरेन नगर चाय बागान श्रमिकों के साथ हैं। जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता तब तक आविप उनके साथ है। जान बारला ने सरकार से मांग की है कि जिस प्रकार से हर बंद बागान के श्रमिकों को स्कीम के तहत मासिक डेढ़ हजार रुपये मिलता है तथा राशन चिकित्सा की सुविधा मिलती है। वहीं सुविधा सुरेन नगर चाय बागान के श्रमिकों को मिलनी चाहिए। नहीं तो हमारा आंदोलन सोमवार से अनिश्चित कालीन तक के लिए जारी रहेगा। जान बारला ने कहा कि जितने भी बंद चाय बागान हैं उन्हें तत्काल सरकार को अपने कब्जे में लेकर खोलने की पहल करनी होगी नहीं तो आने वाले दिनों में आविप बृहत आंदोलन करने को विवश होगी।